लेकिन अब यह बात समझ नहीं आ रही है कि एक दिन पहले खुद सरपंच ने यह बात कहीं थी कि खुद अपनी मर्जी से भाजपा में शामिल हो रहे है। अब अगर भाजपा के लोगों ने लालच दिया था तो इस बात से वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को अवगत क्यों नहीं कराया...? जबरन हार पहनाकर शामिल किया था तो फिर प्रेसनोट किसके स्वीकृति से जारी किया गया था। इससे ऐसा प्रतित हो रहा है कि सरपंच ने दबाब में आकर भाजपा में शामिल हुए या फिर दबाब में आकर फिर कांग्रेस में चले गए है। अब इस सवाल का उत्तर तो सरपंच कन्हैयालाल चौधरी ही दे सकते है।
लेकिन अब यह बात समझ नहीं आ रही है कि एक दिन पहले खुद सरपंच ने यह बात कहीं थी कि खुद अपनी मर्जी से भाजपा में शामिल हो रहे है। अब अगर भाजपा के लोगों ने लालच दिया था तो इस बात से वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को अवगत क्यों नहीं कराया...? जबरन हार पहनाकर शामिल किया था तो फिर प्रेसनोट किसके स्वीकृति से जारी किया गया था। इससे ऐसा प्रतित हो रहा है कि सरपंच ने दबाब में आकर भाजपा में शामिल हुए या फिर दबाब में आकर फिर कांग्रेस में चले गए है। अब इस सवाल का उत्तर तो सरपंच कन्हैयालाल चौधरी ही दे सकते है।
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